उस नारी को शत- शत नमन कर शीश झुकाना जिसके बिना सृष्टि की कभी न होगी कल्पना। उस नारी को शत- शत नमन कर शीश झुकाना जिसके बिना सृष्टि की कभी न होगी कल्पना।
भूल गए जब जब कंटक रातें, नव पुष्प खिले, नव पुष्प खिले। भूल गए जब जब कंटक रातें, नव पुष्प खिले, नव पुष्प खिले।
है क़सम कर तू हिफ़ाजत है तेरा आज़म वतन ये। है क़सम कर तू हिफ़ाजत है तेरा आज़म वतन ये।
हे प्रमेशवरी हे दुर्गेशवरी भक्ति दान दे दो। माँ शारदा कालिका कमला तेरा ही रूप है। हे प्रमेशवरी हे दुर्गेशवरी भक्ति दान दे दो। माँ शारदा कालिका कमला तेरा ही रू...
यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है ! न कोई बची गांव की वो गली है। यहाँ हो रही ख़ूब अब मयकशी है ! न कोई बची गांव की वो गली है।